Ashish Kumar

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गरीब आदमी हूँ - लेखनी प्रतियोगिता -11-Oct-2022

गरीब आदमी हूँ

गरीब आदमी हूँ
मयस्सर नहीं सूखी रोटी भी
जो मिलता है हलक में डाल लेता हूँ
जी तोड़ मेहनत करता हूँ
पूरे परिवार का बोझ ढो लेता हूँ

अपनों के लिए जीता हूँ
अपनों के लिए मरता हूँ
अपनों को खुश देख कर
खुशी के आँसू गटक लेता हूँ
गरीब आदमी हूँ
मगर रिश्तो की पूँजी समेट लेता हूँ

दबा है जीवन मेरा कर्ज तले
मेरी हर इच्छा दबी है फर्ज तले
एक अदद छत भी नहीं सर पर
दो पैसे कमाने के लिए
फुटपाथ पर भी रह लेता हूँ
गरीब आदमी हूँ
चुपचाप हर दर्द सह लेता हूँ

मलाल नहीं कि गरीब पैदा हुआ
कोशिश इतनी है कि बच्चे गरीब ना रहे
उनके लिए भी कुछ बचा लेता हूँ
बेहतर भविष्य के लिए पढ़ा लेता हूँ
गरीब आदमी हूँ
मगर सपने मैं भी सजा लेता हूँ

                      - आशीष कुमार
                       मोहनिया बिहार

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14 Comments

Suryansh

14-Oct-2022 06:23 PM

बहुत ही उम्दा और यथार्थ चित्रण

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Ashish Kumar

14-Oct-2022 06:34 PM

जी धन्यवाद😊😊🙏🙏

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Gunjan Kamal

12-Oct-2022 11:40 AM

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 👌🙏🏻

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Ashish Kumar

12-Oct-2022 01:28 PM

जी धन्यवाद🙏🙏

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Abhinav ji

12-Oct-2022 08:21 AM

Nice

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Ashish Kumar

12-Oct-2022 09:45 AM

Thanks

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